Mirza Ghalib Kaun the, mirza ghalib ke sher मिर्जा ग़ालिब कौन थे, मिर्जा ग़ालिब की शायरी1
दोस्तों आज हम आपको मशहूर ऊर्दू के शायर मिर्जा गालिब Mirza Ghalib के बारे में आपको बताऊंगा
- वो क्या थे उनका परिचय
- उनके मशहूर शेर
Mirza Ghalib Kaun the मिर्जा ग़ालिब कौन थे
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मिर्जा गालिब ने 11 साल की उम्र से ही शायरी लिखना शुरू कर दिया था। आप सब में से बहुत सारे लोगों ने मिर्जा गालिब का नाम तो जरूर सुना ही होगा और उनकी शायरी भी आपने शायद एक दूसरे को जरूर भेजी होगी। व्हाट्सएप पर आपके पास उनकी शायरी कभी कबार आ जाती होगी। और मिर्जा गालिब का नाम आपको पता होगा लेकिन फिर भी हमें कह सकते हैं कि मिर्जा गालिब से आपका परिचय पूरा नहीं हुआ होगा। इसलिए आज हम आपका परिचय मिर्जा गालिब से कराएंगे और हम आपको बताएंगे कि मिर्जा गालिब होने का मतलब क्या है? और मिर्जा गालिब कौन थे।
वह मुगल शासक बहादुर शाह जफर के दरबारी कवि हुआ करते थे। उर्दू वालों को खास अंदाज में पेश करने के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है और गालिब का निधन पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान में हुआ था और वहां पर जिस हवेली में ग़ालिब साहब रहा करते थे, उसे आज एक म्यूजियम बना दिया गया है। और वह हवेली आज भी है। हालांकि आज की पीढ़ी ने मिर्जा गालिब के बारे में थोड़ा बहुत पढ़ा होगा। सुना भी होगा लेकिन वह उनसे ज्यादा परिचित नहीं है। इसलिए आज हम आपको मिर्जा गालिब के बारे में कुछ दिलचस्प बाते बताएंगे। मिर्जा गालिब से आपका परिचय कराना चाहते हैं। आपको बताना चाहते हैं कि वह कौन थे और ऐसा उन में क्या खास था कि आज उनकी मृत्यु के सैकड़ों साल बाद भी लोग उन्हें आज भी याद करते हैं?
थोड़ा इतिहास की ओर आपको ले जाते है जहा आपको कुछ जानकारी दिलाते है
आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर के दरबार में दो बड़े और बहुत मशहूर शायर हुआ करते थे। एक इब्राहिम जोक और दूसरे थे। मिर्जा गालिब वर्ष 1850 आते-आते अंग्रेजों ने फूलों पर बहुत सारे पाबंदियां लगा दी थी और सरकारी खजाने की चाबी भी। अंग्रेज सरकार के पास चली गई थी। इससे दरबार के छात्रों को मिलने वाला वजीफा बंद कर दिया गया था या नहीं। उस समय बहादुर शाह जफर की हालत ऐसी हो गई थी कि खजाने की चाबी उनके पास ही नहीं पैसा उनके पास बचा नहीं था और वहीं शायरों को वजीफा था। ज्ञानी उनकी तनख्वाह तक नहीं देख पा रहे थे और कई बड़े शायर उस जमाने में दिल्ली छोड़कर दक्षिण की ओर चले गए थे। इसलिए क्योंकि दिन में पैसा बचा नहीं था। बादशाह जफर के पास उन्हें देने के लिए कुछ आया नहीं।
तुम चारों को लगा कि जो दक्षिण के नवाब हैं उनके पास अभी भी पैसा बचा हुआ है। वहां चलते हैं। हालांकि इस मुश्किल दौर में भी मिर्जा गालिब ने दिल्ली को छोड़ा नहीं और बहादुर शाह जफर का दरबार भी उन्हें छुड़ाने मिर्जा गालिब ने अपने फैसले के पीछे पुरानी दिल्ली की गलियों से अपनी मोहब्बत को बताया था। व्हाट्सएप में ब्लॉक के निधन के बाद मिर्जा गालिब को दिल्ली दरबार का प्रमुख शायर न्यू कर दिया गया था। एक दिलचस्प जानकारी यह भी है कि बहादुर शाह जफर को अपने दरबार में जो शायर मिर्जा गालिब सबसे ज्यादा। पसंद किया जाता है l
आप इसे ऐसे सब मजे की मिर्जा गालिब इस पर लगभग चुप रहे और उन्होंने इस दौरान खुद को दिल्ली के बल्लीमारान इलाके में अलग-अलग जगहों पर किराए के मकानों में कैद करके जिसका जिक्र वह अपने कुछ शिष्यों में भी करते हैं।
इनमें से एक छुट्टी उन्होंने वर्ष 1819 आठ में लिखी थी। इसमें वो कहते हैं हाथों से घर से बाहर नहीं निकला हूं क्योंकि दो आने का टिकट खरीद नहीं सका। घर से निकलूंगा तो दरोगा पकड़ कर ले जाएगा। ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उस समय दिल्ली में घर से बाहर निकलने पर अंग्रेजी सरकार टैक्स लगाती थी और मिर्जा गालिब के पास करने के लिए दो आने भी नहीं थे। हालांकि अट्ठारह सौ सत्तावन में जब बहादुर शाह जफर अंग्रेजों से बचने के लिए हुमायूं के मकबरे में जाकर छुप गए थे तब मिर्जा गालिब ने उनके दर पर एक शेर लिखा । वह शेर आज मैं आपको पढ़कर सुनाता हूं तो शेर था रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं खाए। जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
मिर्जा गालिब की मशहूर शेर-
मिर्जा गालिब की मशहूर शेर जिसका वर्णन आगे किया गया है जो आज भी इतिहास के पन्नो पर लिखा हुआ है
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न जाने मेरे किस खता से नाराज थे,
वो इतना कि जो वह भूल गए मुझे तमाम उम्र के लिए ।
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na jaane mere kis khata se naaraaj the ,
vo itana ki jo vah bhool gae mujhe tamaam umr ke lie
2-
✍️तुम मेरे लिए अब कोई इल्जाम ना ढूंढो,
मैंने चाहा था तुम्हें तुम्हारे यही इल्जाम काफी है✍️
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✍️tum mere lie ab koee iljaam na dhoondho ,
mainne chaaha tha tumhen tumhaare yahee iljaam kaaphee hai✍️
3-
✍️बड़ी बरकत है इश्क में तेरे सनम,
जब से हुआ है कोई दूसरा दर्द ही नहीं होता✍️
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✍️badee barakat hai ishk mein tere sanam,
jab se hua hai koee doosara dard hee nahin hota✍️
4-
✍️सिर्फ बेहद चाहने से कुछ नहीं होता साहेब ,
नसीब भी होना चाहिए किसी को पाने के लिए ✍️
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✍️sirph behad chaahane se kuchh nahin hota saaheb ,
naseeb bhee hona chaahie kisee ko paane ke lie ✍️
5-
✍️दिन भर करता रहा मैं जिस बेहतर इंसान की तलाश ,
शाम को वह मुझे आईने मे मुस्कुराता हुआ मिला✍️
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✍️din bhar karata raha main jis behatar insaan kee talaash ,
shaam ko vah mujhe aaeene me muskuraata hua mila✍️
6-
✍️तुझे पाने की हसरत में कब तक हम तड़पते रहे
कोई ऐसा धोखा दे कि मेरी आस ही टूट जाए ✍️
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✍️tujhe paane kee hasarat mein kab tak ham tadapate rahe ,
koee aisa dhokha de ki meree aas hee toot jae✍️
7-
✍️एक तेरे बगैर ही ना गुजरेगी जिंदगी मेरी ,
बता मैं क्या करूं सारे जमाने की खुशियां लेकर✍️
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✍️ek tere bagair hee na gujaregee jindagee meree ,
bata main kya karoon saare jamaane kee khushiyaan lekar✍️
8-
✍️छु ना पाया मेरे अंदर की उदासी को ,
कोई कुछ इस कदर अदाकारी मेरे चेहरे ने किया ✍️
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✍️chhu na paaya mere andar kee udaasee ko ,
koee kuchh is kadar adaakaaree mere chehare ne kiya ✍️
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