Ravidas Jayanti 2023, Date’s, Holiday, Images, Wishes In Hindi

इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे रविदास जयंती से जुड़े पूरी जानकारी जैसे कि रविदास जयंती कब मनाई जाती है, रविदास जयंती क्यों मनाई जाती है? संत रविदास जी की फोटो, रविदास जयंती कैसे मनाई जाती है आदि सारी जानकारी आपको इस आर्टिकल में मिलने वाला है।

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Ravidas Jayanti 2023: रविदास जयंती की पूरी जानकारी

रविदास जयंती 2023 की पूरी जानकारी आपको इस पैराग्राफ में मिलने वाली है । चलिए हम आपको बता देते है आपको इस आर्टिकल में हम किन किन टॉपिक पर बात करेंगे जिससे की आप जिस जानकारी को खोजने आए हैं उसे आप आसानी से खोज पाए।

  • रविदास जयंती 2023 की पूरी जानकारी (Ravidas Jayanti 2023 Ki Full Details)
  • रविदास जयंती 2023 की डेट दिनाक (Ravidas Jayanti 2023 Date)
  • रविदास जयंती की छुट्टी से जुड़ी जानकारी (Guru Ravidas Jayanti Holiday)
  • गुरु रविदास जी के जीवन के बारे मे (Guru Ravidas Jayanti life)
  • गुरु रविदास जी के जीवन में घटी मुख्य घटनाएं
  • गुरु रविदास जी से जुड़ी मुख्य कहानियां

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Ravidas Jayanti 2023, Date's, Holiday, Images, Wishes In Hindi
संत शिरोमणि गुरु रविदास जी महाराज

Ravidas Jayanti 2023: संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के जन्म के बारे में

 गुरु रविदास जी 15वी 16वी शताब्दी में एक महान संत दार्शनिक कवि समाज सुधारक और भारत में भगवान के अनुयाई हुआ करते थे। निर्गुण संप्रदाय के लिए एक बहुत ही प्रसिद्ध गुरू थे, जिन्होंने उत्तरी भारत में भक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया था। रविदास जी बहुत अच्छे कावितज्ञ थे। इन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से अपने अनुयायियों समाज एवं देश के कई लोगों को धार्मिक एवं सामाजिक संदेश दिया।

रविदास जी की रचनाओं में उनके अंदर भगवान के प्रति प्रेम की झलक साफ दिखाई देती थी। वे अपनी रचनाओं के द्वारा दूसरों को भी परमेश्वर से प्रेम के बारे में बताते थे। और उन से जुड़ने के लिए कहते थे, आम लोग उन्हे मसीहा मानते थे क्योंकि उन्होंने सामाजिक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़े-बड़े कार्य किए थे के लिए भगवान की तरह पूछते थे और आज भी पूछते हैं।

गुरु रविदास जी का जन्म वाराणसी के पास सीर गोवर्धन गांव में हुआ था। उनकी माता कर्मा देवी एवं पिता संतोष दास जी के चमार जाति से। रविदास जी के जन्म पर सबकी अपनी अपनी राय है। कुछ लोगों का मानना है। इनका जन्म 1376 से लेकर 1377 के आसपास हुआ था। कुछ कहते हैं 1399 सीई में हुआ था। कुछ दस्तावेजों के अनुसार रविदास जी ने 1450 से 1520 के बीच अपना जीवन धरती में दिखाया था। इनके जन्म गुरु रविदास जन्म स्थान कहा जाता है।

रविदास जी के पिता राजानगर राज्य में जूते बनाने और सुधारने का काम किया करते थे। रविदास जी बचपन से ही बहुत बहादुर और भगवान को बहुत मानने वाले थे।रविदास जी को बचपन से ही ऊंची जाति वालों की हीन भावना का शिकार होना पड़ा था। वे लोग हमेशा उनके मन में उसके नीचे जाति होने की बात डालते रहते हैं। रविदास जी ने समाज को बदलने के लिए अपनी कलम का सहारा लिया। अपनी रचनाओं के द्वारा जीवन के बारे में लोगों को शिक्षा देते कि इंसान को बिना किसी भेदभाव के अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना चाहिए।

Ravidas Jayanti संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के जीवन की मुख्य विचार “मन चंगा तो कठौती में गंगा

एक लाइन हम आपको सुनाने जा रहे है वो लाइन बहुत ही पवित्र लाइन है। जिसे आप कही न कही जरुर कही सुना होगा। यह वो लाइन है मन चंगा तो कठौती में गंगा  क्या आप इस लाइन के पीछे जुड़े हकीकत को जानते है। यदि नही जानते तो हम आपकों पूरी इस लाइन की कहानी बताएंगे।

मन चंगा तो कठौती में गंगा : एक बार संत शिरोमणि गुरु रविदास जी अपनी दुकान पर जूता चप्पल (सीने का काम) कर रहे थे। तभी उस समय उस गांव के एक ब्राह्मण ने काशी  गंगा में स्नान करने के लिए जा रहे थे। तभी रास्ते में रविदास जी का दुकान पड़ गया और रविदास जी उस उस ब्राह्मण से पूछते हैं कि महाराज आप कहां जा रहे हैं तभी वह ब्राह्मण जवाब देता है कि हम जा रहे हैं काशी गंगा में स्नान करने के लिए।

तभी रविदास जी ने उस ब्राह्मण से हाथ जोड़कर कहते है। मेरा भी एक भेट गंगा मैया में चढ़ा देंगे तो ब्राह्मण कहता है क्यों नहीं रविदास लाओ हम तुम्हारा भी भेट गंगा मैया को चढ़ा देंगे। यह सुनकर गुरु रविदास जी ने उस ब्राह्मण को ₹1 का सिक्का दिया वह ब्राह्मण क ₹1 का सिक्का नीचे रख दो हम ले लेंगे तो गुरु रविदास जी ने उस सिक्के को नीचे रख दिया और उस ब्राह्मण ने उस सिक्के पर गंगाजल डालकर उसे धो करके उस सिक्के को अपने पास रख लिया।

सतगुरु रविदास जी ने उस ब्राह्मण से कहा कि हमारा वेट गंगा मैया को चढ़ा दीजिएगा और उसे कहिए गा कि आपका बेटा आपका यह भक्त आप से मिलने जल्दी आएगा यह सुनकर ब्राह्मण महाशय  वहा से काशी के लिए प्रस्थान कर गए। जब पंडित काशी पहुंचकर अपना भेट चढ़ाकर का वहा से घर के लिए आने की तैयारी कर रहा था तभी उसको याद आया कि रविदास जी ने अपनी भेट चढ़ान के लिए गंगा मैया में ₹1 का सिक्का दिए थे उनका भी चढ़ा दे।

उसके बाद ब्राह्मण उसके बाद ब्राह्मण उसे एक रुपए के सिक्के को गंगा में चढ़ा देता है और जैसे ही वहां से निकलने ही वाला होता है तभी स्वयं गंगा मैया प्रसन्न होकर उस ब्राह्मण को एक सोने का कंगन देती हैं और कहती हैं कि यह हमारे पुत्र हमारे प्रिय सच्चे भक्त रविदास जी को दे देना। यह सब देख कर ब्राह्मण बहुत ही आश्चर्यचकित रह गया कि हमने इतना सारा भेट आपको चढ़ाया पर आपने एक बार भी हमको कुछ नहीं दिया और ना ही आपने हमें एक बार भी दर्शन दी।

कहकर गंगा मैया काहे की जो हमें सच्चे दिल से सच्चे मन से हमारी भक्ति करता है हम उनके लिए ही उनको ही दर्शन देते हैं यह कहकर गंगा मैया गंगा में समा गई। उसके बाद सोने का कंगन देखकर उस ब्राह्मण के मन में लालच उत्पन्न हो गया मैं सोचा कि यह सब बात रविदास जी को नहीं पता होगा इसे तो हम अपने पास रख लेंगे जो यह सोचकर वह वहां से घर के लिए निकल पड़ा।

उसके बाद वह जाकर उस राज्य के महाराजा के पास पहुंच गया। उसे महाराज की एक पुत्री भी थी वह जब यह कंगन देखी तो उसने बहुत ज्यादा पसंद आ गया और इसके बारे में उस ब्राह्मण से कहीं कि जो इस कंगन का दूसरा कंगन इसी तरह का लाएगा उसको मैं अपने राज्य में बहुत सारा इनाम दूंगी। तो वहां पर उपस्थित सभी राज दरबार उस कंगन की दूसरी जोड़ों के लिए एक से एक बढ़कर सुनार के पास पहुंचे ।

जो उन सुनार को यह कह रहे थे कि हमको इसी प्रकार का सेम टू सेम इसी जोड़े का, इतने ही साइज का ,हमको इसका दूसरा कंगन भी बना कर बना कर दो बना कर दो चाहे जितना भी इसके लिए पैसा या सोना देना पड़े वह सब देने के लिए तैयार हैं पर आप लोग इस कंगन का दूसरा जोड़ा भी बनाकर दीजिए। सभी सोनार बहुत कोशिश करते हैं उस जोड़ी के सेम टू सेम कंगन बनाने के लिए पर उस तरह का कंगन कोई भी सुनार नहीं बना पाता है।

मन चंगा तो कठौती में गंगा
संत शिरोमणि गुरु रविदास जयंती 2023

 

और हार मान के लास्ट में यह कहता है की इस तरह का दूसरा कंगन हम लोगों को बनाना असंभव है इसलिए महाराज हम लोग इस तरह का कंगन नहीं बना सकते। आता है महाराज आपसे निवेदन है कि यह कंगन केवल वही बना सकता है जो यह कंगन बनाया होगा उसके पास दूसरा भी जोड़ा होगा तो यह जोड़ा वहीं से आपको मिल जाएगा।

यह बात महाराज सुनकर उस पंडित को बुलाते हैं जो वह कंगन लेकर आया था उस ब्राह्मण से कहते हैं जाओ तुम कहीं से भी इस कंगन का दूसरा भी जोड़ा लेकर हमारे पास आओ।यह सुनकर वह ब्राह्मण बहुत ही घबरा जाता है बहुत ही सोच में पड़ जाता है कि यह इसका दूसरा कंगन तो अब हम कहां से लाएं। यह सुनकर अब वह ब्राह्मण रविदास जी के पास जाता है और वहां पर जो घटित घटना होती है उनको पूरी तरह से बताता है।

संत रविदास जी क्या सुनकर बहुत ही खुश हो जाते हैं कि गंगा मैया हमारे लिए कुछ अपनी तरफ से तोहफा भेजे थे पर यह बात से निराश हो जाते हैं कि वह हमारे पास अभी तक नहीं पहुंचा। अब वह ब्राह्मण कहता है कि रविदास अब तुम ही हमारी मदद कर सकते हो अब तुम ही इस कंगन का दूसरा भी जोड़ा हमको दिला सकते हो यह हमारे लिए नहीं बल्कि इस राज्य के राजा की राजकुमारी के लिए यह करना होगा नहीं हमको नहीं तो हमको मृत्यु दंड दिया जाएगा।

यह सुनकर रविदास जी उस ब्राह्मण से कहते हैं आप घबराइए मत और राजा से जाकर बता दीजिए आपको वह कंगन मिल जाएगा वह कंगन हम आपको देंगे। यह सुनकर वह ब्राह्मण महाराज के पास जाता है और कहता है महाराज आपको जोड़े का कंगन आपको कल रविदास के दुकान पर आपको मिल जाएगा। सुन का महाराज यह सुनकर महाराज आश्चर्य में हो जाते हैं कि यह सोने का कंगन रविदास की दुकान से मिलेगा।

जो रविदास का दुकान तो चप्पल जूते का है वहा से कैसे मिलेगा यह देखने के लिए वह सारी अपनी प्रजा के साथ उस रविदास के दुकान पर पहुंच जाते हैं। रविदास जी ने तब अपनी दुकान पर रखी कटौती में पानी भरकर अपनी भक्ति के सच्ची भक्ति के गीत गाकर भजन गाकर सच्चे मन से उस गंगा मैया को अपनी कटौती में प्रकट कर देते हैं और वह गंगा मैया उस कठौती में आने के लिए मजबूर हो जाती हैं उनकी भक्ति की आगे, और वह गंगा मैया आकर रविदास जी को उस कंगन के दूसरा कंगन उनको देती हैं।

गंगा मैया को देखकर जब रविदास जी बहुत ही प्रसन्न हो जाते हैं और कहते हैं माता आप ने इस भक्त की लाज बचा ली आपने इस भक्ति की लाज बचा ली। यह देख कर वहा पर मौजूद सभी लोग धन्य हो जाते है। और रविदास की जय जय कार करने लगते है। रविदास जी ने ये यह अपने नाम की जय जय कार सुनी तो उन्होंने कहा यदि मन में सच्ची भक्ति हो लोगों की मदद करने की शक्ति हो किसी भी प्रकार का गलत काम का विचार ना हो तो भगवान कहीं भी आ सकते हैं।

इसीलिए उन्होंने कहा मन चंगा तो कठौती में गंगा  यदि मन आपका शुद्ध हो आपकी विचार आपकी सोच आपकी व्यवहार यदि सच्चे और पवित्र होते हैं तो आप भगवान के कहीं भी कभी भी आप दर्शन कर सकते हैं आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

Ravidas Jayanti 2023 संत शिरोमणि रविदास जी के विचारो से जुड़ी 6 बाते

संत शिरोमणि रविदास जी के बारे में तो बस इतना ही कहा जा सकता है कि संतो में शिरोमणि की उपाधि तो केवल गुरु रविदास को ही मिला है। बहुत ही सच्चे, और दयावान थे।संत शिरोमणि गुरु रविदास जी से जुड़ी मुख्य जानकारी आपको इस पैराग्राफ में मिलेगा तो आगे देखें

  • संत गुरु रविदास जी संत गुरु रविदास जी एक चमार जाति में पैदा हुए थे उनके पिता जूते चप्पल का कार्य करते थे और कहीं पर भी संत रविदास पर जूते चप्पल का कार्य करना शुरू कर दी है कहा जाता है कि जूते चप्पल बनाने में इतने निपुण हो चुके थे की अपने बनाए हुए जूते चप्पल को ऐसे ही दान कर देते थे। क्योंकि वो बहुत ही दयालु थे।
  • संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के गुरु रामानंद जी थे।जैसा कि शास्त्रों में और किताबों में लिखा गया उसी के अनुसार हम आपको बता रहे हैं कहा जाता है कि उस समय रामानंद जी के शिष्य होना बहुत बड़ी बात होती थी। वह भी उनके लिए की जो चमार जाति के रविदास जी गुरु रामानंद जी के शिष्य थे उनके लिए बहुत बड़ी बात है। गुरु रविदास जी के प्रति भाग जानकर रामानंद जी ने अपना शिष्य बनाया था।
  • संत कबीर दास भी रविदास जी से बहुत ज्यादा प्रभावित थे संत कबीर दास ने रविदास जी के बारे में कहा था संतन के संत रविदास। ये रविदास के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थीं।
  • सामाजिक एकता पर बल संत रविदास जी ने अपने दोहों के माध्यम से अपने भजन के माध्यम से, अपने सत्संग के माध्यम से, समाज को हमेशा यही उपदेश दिया है की वो जाति पात की भेदभाव से दूर रहें। वह हमेशा यह कहते थे कोई भी जन्म से नीच नहीं होता गलत कार्यों से नीच होता है घृढत कार्यों से नीच होता है। उन्होंने कहा उन्होंने कहा कोई व्यक्ति जन्म के हिसाब से ना नीच हो सकता है और ना ऊच हो सकता है।
  • संत एक नाम अनेक,संत शिरोमणि रविदास को अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे कि: रैदास, रयादाश, रामदास,रविदास आदि।
  • मीरा बाई उनकी ही शिष्या थी। संत शिरोमणि गुरु रविदास जी की। ऐसा शास्त्रों में लिखा गया है। ये सारी बाते मीरा बाई की दोहों में मिलते है।
रविदास जयंती
रविदास जयंती 2023 की शुभकामनाएं

Guru Ravidas Jayanti 2023 निस्कर्ष

हमने इस आर्टिकल में संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के बारे में जन्म से लेकर उनके ज्ञान तक उनके जीवन की मुख्य घटना से की पूरी जानकारी इस आर्टिकल में आपको हमने दे दिए यदि आपको यह जानकारी मैं कोई त्रुटि हो तो आप हमें जमा करने की कृपा करें।और यदि आपको कुछ सुझाव है तो आप नीचे कमेंट करके हमको बता सकते हैं अभी और भी जानकारी आपको नीचे दिया जा रहा है जो आपके सवाल है उनका जवाब हम आपको देने वाले हैं तो नीचे उसका जवाब देख लीजिए।

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Ravidas Jayanti Ki FQA

 

2023 में संत रविदास जयंती कब है?

संत शिरोमणि गुरु रविदास का जन्म हिन्दू कैलेंडर के आधार पर माघ माह (Magh Month) की पूर्णिमा तिथि को हुआ था, इसलिए हर साल माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) को रविदास जयंती मनाते हैं। गुरु रविदास की 647वीं जन्म वर्षगांठ साल 2023 में 5 फरवरी, रविवार को है।

रविदास जयंती की सरकारी छुट्टी होती है क्या?

हा रविदास जयंती की सरकारी छुट्टी होती है। परंतु इस बार रविदास जयंती 2023 की 5 फ़रवरी 2023 दिन रविवार को है।

संत रविदास जी का पूरा नाम क्या है?

संत रविदास जी का पूरा नाम रविदास है। पर उनको अलग अलग जगह पर अलग नाम से जानते है जेसे की रैदास, रामदास, रविदास आदि

रविदास जी किसकी भक्ति करते थे?

शास्त्रों और पुराणों के अनुसार रविदास जी तो भगवान राम की भक्ति करते है। और लोग इनके अलग अलग मत भेद है।

गुरु रविदास जी की मृत्यु कब हुई?

उनके भक्तों का मानना है कि गुरु जी की मृत्यु प्राकृतिक रुप से 120 या 126 साल में हो गयी थी। उनका निधन वाराणसी में 1540 एडी में हुआ था।

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