Happy Diwali,Diwali kyu Manate hai,दिवाली से जुड़ी पांच कहानियां, क्या आप जानते हैं1
Happy diwali Diwali kyu Manate hai, दिवाली से जुड़ी पांच कहानियां, क्या आप जानते हैं
नमस्कार आपका हमारे srshayari.com में स्वागत है ,मैं आज के इस लेख में हिंदुओं के एक प्रमुख त्योहार दीपावली के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं कि आखिर में दीपावली क्यों मनाई जाती है कि मुझे दिन दीपक जलाया जाता है। क्यों इस दिन लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। इस तरह की सभी बातें सभी चर्चाएं इस लेख के माध्यम से आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहा हूं तो इस लेख में आप अंत तक बने रहिए। तभी आप को संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो पाएगी कि दीपावली क्यों मनाया जाता है और दीपोत्सव का यह त्यौहार क्यों मनाया जाता है ।
भारत एक ऐसा देश है जिसे त्योहारों की भूमि कहा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार यहां कुल 33 कोटि देवी देवता हैं। इस प्रकार से देखें तो हमेशा किसी न किसी त्यौहार का। माहौल बना ही रहता है। इन्हीं त्यौहारों इन्हीं पदों में से एक खास पर्व है जो दीपावली के नाम से जाना जाता है और जो दशहरा के ठीक 20 दिन बाद मनाया जाता है इस त्यौहार को देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
दीपावली क्यों मनाई जाती है? happy diwali
आखिर क्या कारण है कि जिस से दीपावली को दीप जलाया जाता है और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। सबसे बड़ी बात है तो हम आपको कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं जिसके आधार पर दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। दीपावली और दीपोत्सव मनाने के पीछे कई कहानियां प्राप्त होती है लेकिन उन्हीं कहानियों में से उन्हीं तत्वों में से हम पांच तत्वों को चुन करके आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं जो कि सर्वमान्य है।
इन पांच में से तीन हिंदू समुदाय से एक सिख समुदाय से और एक जैन समुदाय से संबंधित है तो आइए हम एक-एक करके सभी कथाओं को सभी कारणों को जानते हैं कि। दीपावली क्यों मनाई जाती है, दीप क्यों जलाया जाता है और माता लक्ष्मी का पूजन क्यों किया जाता है। सबसे पहले यह जान लेते हैं कि दीपावली का त्यौहार कब मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार दीपोत्सव का यह त्यौहार कार्तिक अमावस्या को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली क्यों मनाई जाती है।
पहली कहानी जुड़ी हुई है,भगवान श्री रामचंद्र जी से happy diwali
त्रेता युग में जब भगवान श्री रामचंद्र को 14 वर्ष का वनवास हुआ उस दौरान वह 14 वर्ष में अनेक यात्राओं को काट कर लंका पहुंचे। वहां पर लंकापति रावण का वध करने के बाद भगवान श्री रामचंद्र कार्तिक अमावस्या को ही अयोध्या लौटे थे। इस अवसर पर समस्त अयोध्यावासी भगवान श्री राम के नगर वापसी पर खुशी मनाते हुए घी का दीपक जलाए थे। तब से दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा है।
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दूसरी कथा जुड़ी हुई है समुद्र मंथन से समुद्र मंथन के।
कार्तिक अमावस्या को ही शिरसागर से महालक्ष्मी उत्पन्न हुई थी और भगवान श्री हरि विष्णु जी और माता लक्ष्मी का विवाह संपन्न हुआ था। तभी से दीपावली का त्यौहार मनाते हुए माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। माता लक्ष्मी धन की देवी है। इसलिए हर घर में दीप जलाने के साथ साथ माता लक्ष्मी का भी पूजन अर्चन किया जाता है जिससे कि उस घर में माता लक्ष्मी का निवास सदा बना रहे।
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तीसरी घटना भगवान श्रीकृष्ण से जुडी हुई है।
द्वापर युग में एक राक्षस नरकासुर हुआ करता था। वह बहुत ही अत्याचारी था। एक बार बस 16000 युवतियों का अपहरण कर लिया था। तब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया और उन 16000 युवतियों को नरकासुर से मुक्त कराया था। वह दिन भी कार्तिक अमावस्या का ही दिन था। कृष्ण भक्ति धारा के लोग इसी दिन को दीपावली के रूप में मनाते हैं।
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चौथी कहानी जुड़ी हुई है सिख समुदाय से।
बार की बात है जब मुगल बादशाह जहांगीर ने 52000 राजाओं को ग्वालियर के किले में बंदी बना करके रखा था। उस दौरान सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह ने अपनी सूझबूझ एवं अपनी बुद्धिमानी से उन 52000 राजाओं को जहांगीर के कैद से मुक्त कराया था। तभी से सिख समुदाय भी दीपावली का यह त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाने लगे।
पांचवी कथा जैन धर्म से जुड़ी हुई है।
जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को कार्तिक अमावस्या की रात को ही निर्माण की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन भगवान महावीर के प्रमुख गिरधर गौतम स्वामी को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसीलिए दीप और रोशनी के त्योहार दीपावली को जैन धर्म के लोग भी बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। जैन ग्रंथों के अनुसार पर भगवान महावीर स्वामी ने दीपावली वाले दिन अर्थात कार्तिक अमावस्या के दिन मुफ्त में जाने से पहले अपना अंतिम उपदेश दिया था।
उत्तरा ध्यान सूत्र के नाम से जाना जाता है। भगवान महावीर स्वामी के मुख्य में जाने के बाद वहां मौजूद जैन धर्मावलंबियों ने दीपक जलाकर की रोशनी करते हुए खुशियां मनाई थी। जैन धर्म के लिए यह त्यौहार विशेष रूप से त्याग और तपस्या के त्यौहार के तौर पर मनाया जाता है। इसलिए इस दिन जैन धर्मावलंबी भगवान महावीर स्वामी की पूजन विशेष रूप से करते हैं और उनके त्याग और तपस्या को याद करते हैं। सभी जैन मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
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इस तरह से इन 5 बिंदुओं को ही आधार मानकर के इस त्यौहार को इस दीपावली के त्यौहार को इस दीपोत्सव को बड़े ही धूमधाम से भारतवर्ष में ही नहीं अपितु देश विदेश में भी मनाया जाता है जो कि पूरे हर्षोल्लास का त्यौहार होता है। इस दिन घरों में दीपक जलाए जाते हैं। बच्चे पटाखे फोड़ते हैं और माता लक्ष्मी का विशेष पूजन अर्चन करके उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है। दीपावली के दिन माता। के पूजन के अलावा भगवान श्री गणेश एवं कुबेर जी का भी पूजन अर्चन किया जाता है।
भगवान श्री गणेश बुद्धि के देवता हैं। इसलिए हम भगवान श्री गणेश के सामने नतमस्तक होकर के हम से प्रार्थना करते हैं कि हमेशा देवसर बुद्धि के मार्ग की ओर ले चले और कुबेर जी धन के देवता होने के कारण कुबेर का पूजन किया जाता है जिससे कुबेर जी की कृपा दृष्टि हम पर बनी रहे और धनसंपदा प्रचुर मात्रा में हमारे पास भरा रहे हमारा भंडार भरा रहे। इस तरह से आपके सामने दीपावली मनाने के पांच तक पांच कथाएं प्रस्तुत की गई।
दीपक जो दीवाली में घरों को सजाने के लिए प्रयोग करते है क्या आप उनके बारे मे जानते हैं
Deepak ya diya
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लेकिन यह बात निश्चित है कि दीपक आनंद प्रकट करने के लिए जलाए जाते हैं। खुशियां बांटने का काम करते हैं। भारतीय संस्कृति में दीपक को सत्य एवं ज्ञान का सूचक माना जाता है क्योंकि दीपक स्वयं चलता है, लेकिन दूसरों को प्रकाश देता है। दीपक की इसी विशेषता के कारण धार्मिक ग्रंथों में दीपक को सूरज के रूप माना गया है।
यह भी मान्यता है कि दीपदान से शारीरिक एवं आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है, जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता है। वहां दीपक का प्रकाश पहुंच जाता है। पुराण के अनुसार दीपक का जन्म यज्ञ से हुआ था। यज्ञ देवताओं एवं मनुष्य के मध्य संवाद साधने का एक माध्यम है। यज्ञ की अग्नि से जन्मे इस दीपक का पूजन विशेष महत्वपूर्ण होता है। विशेष फलदायक होता है। इसलिए आपसे एक विनती करता हूं कि दीपावली के दिन आप अपने घर में मिट्टी का बना हुआ दीपक ही जलाएं। और अपने देश का हित में सहयोग करे।
इस वर्ष दीपावली के पूजन का क्या मुहूर्त है, कितने समय आपको पूजन करना है दिवाली समृद्धि और वैभव का प्रतीक है। दिवाली के पर्व पर लक्ष्मी जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। दिवाली पर विधिपूर्वक लक्ष्मी जी की पूजा करने से जीवन में यश और वैभव बना रहता है और जीवन से धन की कमी दूर हो जाती है।
दीवाली मानने का समय
रात 11:39 से 12:31 तक रहेगा। और 12:39 से 2:56 तक रहेगा।
अमावस्या तिथि प्रारंभ 24 अक्टूबर को शाम 6:03 पर होगी।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 6:13 से 8:16 तक होगा।
प्रदोष काल 7:45 से 8:16 तक होगा
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आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी और यदि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी तो अन्य लोगों तक भी इस जानकारी को पहुंचाई है जिससे अन्य लोग भी दिन तक आप इस जानकारी को पहुंचाएंगे।